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ग्राम विकास कार्यों हेतु ग्राम जल प्रबंधन समिति के प्रयास एवं सफलता

Author : Sunil Kumar

Date : 27/07/2020

शारदा बेसिन में समुदाय आधारित जल प्रशासन को मजबूत करने में ग्राम जल प्रबंधन समिति के प्रयास

ग्राम - श्रीनगर

ग्राम पंचायत - अतरिया

तहसील - पलिया कलां

यह ग्राम पलिया से 5 कि.मी. की दूरी पर शारदा नदी के किनारे बसा हुआ है। इस ग्राम में 343 परिवार निवास करते हैं। यहां मल्लाह जाती के लोग अधिक निवास करते हैं। इनकी पूर्ण निर्भरता शारदा नदी पर ही है।  इस समुदाय के सदस्य शारदा माता के नाम से पुकारते है एवं शारदा नदी पर बहुत ही श्रद्धा रखते हैं। यह बाढ़ प्रभावित गांव हैं, बाढ़ के समय में पूरे गांव में जल भराव हो जाता है एवं बाढ़ के समय ग्राम के सदस्यों में कटान होने का भय बना रहता है कि कहीं शारदा नदी गरीब समुदाय का आशियाना न छीन ले।

आजीविका - इस ग्राम के सदस्य पूर्ण रूप से शारदा नदी पर निर्भर हैं। वे नदी से मछली मारकर अपना जीवन यापन करते हैं, जिसमें महिलाएं भी अपनी भूमिका निभाती हैं। कुछ सदस्य मजदूरी करने जाते हैं, कुछ खेती करते हैं - मौसम के अनुरूप सब्जियां उगाते हैं और पलिया मंडी में सब्जियां बेच देते जिससे वह दैनिक जीवन  में प्रयोग करने वाली वस्तुएं खरीदते हैं एवं कुछ युवा वर्ग के सदस्य बाहरी प्रदेशों में फैक्टरियों में काम करने जाते हैं।

ऑक्सफैम इंडिया के सहयोग से जी.डी.एस. संस्था ने इस ग्राम को परियोजना कार्य हेतु चयनित किया एवं 2017 जुलाई में कार्य करने का निर्णय लिया। जी.डी.एस. ने यहां के समुदाय से बातचीत कर खुली बैठक का आयोजन किया तथा ग्राम की पूर्ण स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र की जिसमें पता चला कि इस ग्राम की स्थिति बहुत ही दयनीय है। यह बाढ़ ग्रसित ग्राम है तथा समुदाय में अशिक्षा का अभाव है जिससे समुदाय किसी निर्णय को स्वयं नहीं ले सकता, न ही अपने अधिकारों को नहीं समझ पा रहा है।

ग्राम जल प्रबंधन समिति का गठन एवं कार्य - जुलाई 2017 में जी.डी.एस. संस्था कार्यकर्ताओं के माध्यम से इस ग्राम में समुदाय के 20 सदस्यों के माध्यम ग्राम जल प्रबंधन समिति का गठन किया समिति में महिला तथा पुरुषों की समान भागीदारी तय की गई। इसमें तय किया गया कि समिति के सदस्यों के साथ माह में एक बार बैठक की जायेगी, उन्हें उनके स्वयं के अधिकारों के प्रति जागरूक किया जायेगा  जिससे वह अपने अधिकारों के लिए आपस में समझ विकसित कर पायें और अपने अधिकारों की मांग कर करने में सक्षम हो सकें। सामुदायिक कार्यकर्ताओं एवं ग्राम जल प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा जल प्रबंधन करने एवं स्वच्छ जल उपयोग करने के लिए निरन्तर जागरूक किया जाने लगा। उन्हें बताया गया कि नियम-कानून के अनुसार एक साधारण एवं गरीब व्यक्ति के भी अधिकार होते जैसे किसी धनी या अन्य व्यक्ति के होते हैं। समुदाय के सदस्य जब मासिक बैठक में एकत्र होने लगे तो अपने ग्राम की सभी समस्याओं मुख्य रूप से जल सम्बन्धित समस्याओं पर अपनी समझ विकसित करने लगे। समिति के सदस्यों के समस्याओं के निवारण हेतु ग्राम स्तर, ब्लाक स्तर, तहसील स्तर एवं जिला स्तर के सदस्यों के साथ समन्वय करने की सलाह दी जाने लगी। समिति  के सदस्यों ने अपनी बेहतर समझ बनाई और समस्याओं का दस्तावेज तैयार करना शुरू कर दिया समस्याओं को निकालने में ग्राम के सभी सदस्यों ने अपनी महत्वपूर्ण सहमति दी।

ग्राम जल प्रबंधन समिति के सदस्यों में जल प्रबंधन के प्रति बेहतर समझ बन गयी, उन्होंने बताया कि जल हमारे जीवन का अनमोल पहलू है, जल के बिना हमारा जीवन सम्भव नहीं है। अतः समिति के सदस्यों ने निर्णय लिया कि वह ग्राम के अन्य सदस्यों को जल प्रबंधन एवं स्वच्छ पेय जल के उपयोग एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे। यह कार्य ग्राम जल प्रबंधन समिति द्वारा शुरू किया एवं मासिक बैठक में ग्राम के अन्य सदस्यों को बुलाकर जी.डी.एस. संस्था द्वारा चलाई जा रही ट्रोसा परियोजना का उद्देश्य बताया जाने लगा जिससे ग्राम के अन्य सदस्यों में भी अपने अधिकारों की बेहतर समझ बनी और समिति के सदस्यों का सहयोग करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे।

ग्राम जल प्रबंधन समिति द्वारा ग्राम विकास कार्यों हेतु बढाये गये कदम - समिति के सदस्यों ने ग्राम की समस्याओं के निवारण हेतु जी.डी.एस. कार्यकर्ताओं के साथ अपने विचार साझा किए एवं ग्राम विकास कार्यों हेतु सम्बन्धित अधिकारियों कि जानकारी प्राप्त की। समिति के सदस्यों के द्वारा ग्राम की समस्याओं जैसे- शुद्ध पेय जल हेतु उचित प्रबंधन करवाना, शौचालय की समस्या, सड़क निर्माण आदि समस्याओं की तिमाही  कार्य योजना बनाई जाने लगी एवं ग्राम प्रधान के साथ के साथ साझा की जाने लगी। ग्राम प्रधान ने कार्य योजना अनुसार ग्राम विकास कार्य करवाने का निर्णय लिया और ग्राम विकास करवाना प्रारम्भ करवाया इसी प्रकार से समिति के सदस्यों ने अपने ग्राम की समस्याओं को ब्लाक स्तर एवं तहसील स्तर के अधिकारियों को भी समय-समय पर प्रेषित किया।

ग्राम जल प्रबंधन समिति के सदस्यों के माध्यम से जून 2019 में युवा समूह सदस्यों का चयन किया गया। परियोजना अनुसार इस समूह के माध्यम से जल गुणवत्ता जांच  कर दूषित जल के आँकड़े तैयार करना है तथा इन आँकड़ो के माध्यम से समुदाय के सदस्य अपने जल अधिकारों की मांग कर सकते हैं। इस समूह के माध्यम से लोक विज्ञान कार्यों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया। युवा समूह सदस्यों द्वारा जुलाई 2019 में निरन्तर जल की गुणवत्ता की जांच की जा रही हैं एवं आकड़े एकत्र किए जा रहें हैं एवं समय-समय पर इन आँकड़ो के आधार पर सरकार द्वारा स्वच्छ पेय जल की मांग भी की जा रही है। अनुभव से पता चला कि ग्राम जल प्रबंधन समिति के सदस्यों में अपने अधिकारों के प्रति बेहतर समझ बनी तथा वह ग्राम के अन्य सदस्यों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक कर रहे हैं एवं समय-समय पर सम्बन्धित अधिकारियों के साथ समन्वय बैठक करते हैं।

युवा समूह सदस्यों ने बताया कि हमारे द्वारा ग्राम के भूमिगत जल एवं शारदा नदी के जल से समयानुसार जल की गुणवत्ता की जांच की जाती हैं जिससे यह जानकारी प्राप्त होती हैं कि किस समय नदी का जल दूषित है और किस समय नदी में स्वच्छ जल बहता है। इससे यह भी पता लगाया जा रहा है कि दूषित जल से हमारे भूमिगत जल जिसे हम दैनिक कार्यों हेतु उपयोग में लाते हैं उस पर क्या प्रभाव पड़ रहा हैं।    

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The initiative is supported by Oxfam India under Transboundary Rivers of South Asia (TROSA 2017 -2021) program. TROSA is a regional water governance program supporting poverty reduction initiatives in the Ganges-Brahmaputra-Meghna (GBM) and Salween basins.The program is implemented in India, Nepal, Bangladesh and Myanamar and is supported by the Government of Sweden.
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